आखरी वक्त है और तुम मेरे पास नही |
दर्द अंजाम पे है और तुम मेरे पास नही ||
कितना बेबस कर दिया शिद्धत -ए -दर्द ने,
लडखडा रहा हू और तुम मेरे पास नही |
मुसलसल दर्द से निजात मिले तो अच्छा,
लंबी दर्द कि रात है और तुम मेरे पास नही |
अंधेरा नजर आने लगा अब चारसू मेरे,
उजाले कि तलाश है और तुम मेरे पास नही |
मुझको मालूम है दर्द बेपनाह है मुझे,
मौत कि ये आहट है और तुम मेरे पास नही |
Prof. Hemant Nagdive
दर्द चेहरे पे आया है आईंना बनकर,
अक्स मगर उसके आज बेजुबा हो गये ||
Prof. Hemant Nagdive
दर्द मेरे आंसू बनकर,
आँखो से छलकते है ||
Prof. Hemant Nagdive
मै रेत हू ,
मूठठी मे मत बांधो मुझे,
क्या करू,
छुटकर निकल जाना,
फितरत है मेरी ||
Prof. Hemant Nagdive
तेरी बेरुखी दर्द के मानीन्द,
बेकरारी दे रही है मुझे ||
Prof. Hemant Nagdive
बोझ बारिश का बादलो ने उठा रख्खा है |
बोझ दिल का अशको ने उठा रख्खा है ||
ये एहसास हुआ अंधेरी रात मे मुझको,
बोझ आसमान का चांदनीयोने उठा रख्खा है |
बागबा ने गुलों से कहा गुरुर न करो,
बोझ फुलों का डालीयों ने उठा रख्खा है |
भटकंते क्यो हो सफर मे परेशां होकर,
बोझ मंझिल का तो रस्तो ने उठा रख्खा है |
चंद लम्हे मैं सुकून से जी तो पाऊंगा,
बोझ दुखखो का मेरे बेटीयो ने जो उठा रख्खा है ||
Prof. Hemant Nagdive
शाख से टूटकर मैं गिर गया कैसे l
साथ रहकर भी मैं दूर गया कैसे ll
मैं तो हैरान हूं आज भी सब लुटकर मेरा,
ये तुफा खामोशीसे गुजर गया कैसे l
थक गया हूं मैं ये सोचते सोचते,
बेवक्त गिरकर मैं बिखर गया कैसेl
संभलकर ही तो चल रहा था अंधेरो से,
बेवजह घबराकर मैं ठहर गया कैसे l
उसके वजूद से रौनक थी घर मैं मेरे,
आज वही घर अंधेरों से घिर गया कैसे l
न कोई गिला और न कोई शिकवा था मुझे,
तो फिर ये दर्द दिल में उतर गया कैसे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
टुटे हुये ख्वाबो की कहानी तूम हो l
सेहरा में जैसे छाई हुई विरानी तूम हो ll
कैसे कहता मैं निगाहो से तेरी,
मेरी आँखो की तिष्णगी तूम हो l
अंधेरे ही अंधेरे है चारसू मेरे,
मेरे रातों की अब रोशनी तूम हो l
बुतपरस्त हूं मैं झुकता नही कही,
इश्क इमान है मेरा और बंदगी तूम हो l
मिटकर कोई कभी जुदा नही होता,
कैसे बताऊं मेरी जिंदगी तूम हो l
कैसे लिखू हयात -ए -सफर अपना,
किताबो की तो मेरी जुबानी तूम हो l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
राह -ए -मंझिल का पता दिजिये मुझे l
कितने तुफाँ है राह में बता दिजिये मुझे ll
निगाहो से यू ना सिर्फ इजहार -ए -इश्क करो,
अपनी पलको में भी छिपा दिजिये मुझे l
वो खता तो बता सिर्फ इलजाम ना कर,
गुनाहगार हूं तो सजा दिजिये मुझे l
माना की उलझने है दोनो की राह में,
कैसे मजबूर हो तूम बता दिजिये मुझे l
और भी रंज-ओ -गम है उल्फत के सिवा,
अपने खयालो से मिटा दिजिये मुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कुछ दिखता नही हर तरफ अंधेरा है,
जुगनू बनकर अंधेरो को मेरे रोशनी दे दो l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कभी सोचा न था मैं हो जाऊंगा इसतरह तनहा,
और छोड जाओगे इतने फासले तुम दर्मिया अपने l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
भटक गया था मैं भी किसीसे रास्ता पूछकर,
मिल के पत्थर ही मंझिलो का पता देते है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
जो शहर कभी आबाद थें अपनी वजूद से,
तारीख के पन्नो पे आज खंडर नजर आते है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
अकेला ही हूं मैं अब राह -ए -सफर में,
इस अधुरे सफर का रंज है मुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मुझको मालूम है वो लौटकर नही आयेगी,
फिर भी दिल में उम्मीद के चराग जलाये बैठा हूं l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मेरा अकेलापन और,
तेरी नामौजुदगी कि चुभन,
दुरियों का एहसास देती है मुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
फनकार कि आँखे अक्सर,
तहकीक कि आदी होती है l
कुछ मिले या ना मिले मगर,
तलाश कि आदी होती है ll
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
खुद्दार बन के जियो किरदार से अपने,
हात फैलाने की कभी नौबत ही न आये l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
इबादत गुजारिश है,
अर्ज है, और
आरजू भी है,
शिद्धत से,
दिल से, और
गहाराई से,
अपनी अंदरुनी एहसास का l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
अपनी मकसद और मकाम का तू ऐसा मुसाफिर बन,
अगर मंझिलो ने पुकारा तो ठहर के आगे बढ जाना l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कितनी तरबियत देती है अखबारे अपने खबरों से हमें,
मगर लोग है की पढकर भी बेखबर हो जाते हैं l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
गर्दीश में जो मोहताज थें सहारो के कभी,
वो मुडकर देखते भी नही माजी को अपने l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
अभी उम्र है तेरी लुत्फ उठा बारिश में भिगने का,
ढलती उम्र में खिडकी से ये मंजर देखना पडता है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
सिर्फ बसीरत रखने से मुकद्धर नही बदलते,
पोशीदा हालात का होना भी तो जरुरी है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
किसी शाहकार को देखना भी इक फन है,
हर किसी को ये हुनर हासील नही होता l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
राह-ए-सफर में गिरना तो आम बात है,
तजुर्बा खुद सिखा देता है कैसे संभलना l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कामयाबी मिले या ना मिले,
कोशिशे करना तो लाजमी है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कृतज्ञता की अभिव्यक्ती में ही सिर्फ,
सर झुका देता हूं मैं अपना l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मकसद की जिन्हें बसीरत होती है,
वो सफर की अपनी नुमाईश नही करते l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मुझे तो होश नही आप ही संभालो यारो,
बेसहारा कर दिया है अब जिंदगी ने मुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
तबाह तो मैं हो ही गया हूं खोकर तुझको,
ऐसा कभी बरसेगा कहर सोचा भी न था l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कोई हसरतें नही है अब ये जिंदगी तुझसे,
बस तेरी ही यादों में डुबकर मर जाना है मुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
आसूं ओ की अहमियत सें मैं अबतक अंजान था,
बाद गुजरने के तेरे मुझको अब ये मालूम हुआ l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
गुजरे जमानें के अफसानों से अब क्या लेना देना,
भूल जाना अच्छा है सबकुछ खुद ही में खोकर l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
फासले बना रख्खे है मैं नें कुछ रीश्तो मे जरूर,
नजदिकिया कभी कभी भरोसा तोड देती है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
हर कुचा, गली और बस्ती मेरे शहर की दहशत में है, आजतक मौत की ऐसी वहशत मैं ने कभी देखी नही l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ठंडे मौसम की सर्द हवा में यादों का इक बोझ लिये,
खामोशी में आँखे मुंदकर थोडा वक्त गुजार देता हूं l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
आजकल मोहब्बत मुखौटा है हवस की शक्ल पे,
दोनों की ही रजामंदी का ये इक गंदा फसाना है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
किसी फनकार से मुतासिर होना जायज भी है,
मगर उसकी तासीर में रहो ये जरुरी तो नही l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ऐसा क्यों लगता है मुझे मालूम नही,
वो आज भी जरूर आसपास है मेरे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
साहिल तक तो पहुचना ही है मल्लाह को,
अब देखना है तुफान का इरादा क्या है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मजलूम की दस्तक दरवाजें अगर अनसुनी कर दे,
तो समझो खुदगर्ज है उस पे लगी ओहदों की तख्खतियाँ l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
घर लौटने की उम्मीद उसको थी मगर,
कैसे कहता मैं आखरी वक्त है तेरा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
अश्को का समुंदर है आँखो में मेरी,
यादें छिपा रख्खी है गहराई में उसकी l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कामयाबी कि हर दास्तानों में तू ढुंढ,
सुकून कि कुर्बानी जरूर मिलेंगी तुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
लंबे सफर को भुलने में भी वक्त तो लगता है l
नये जख्म को भरने में भी वक्त तो लगता है ll
काश अगर मुमकिन हो तो उसका पता देना,
खोये सनम को ढुंढने में भी वक्त तो लगता है l
तुफानों की फितरत ही है सबकुछ मिटा देना,
उजडे घर को बसाने में भी वक्त तो लगता है l
मैखानो ने लूट लिया है रिंदो का सबकुछ,
फटे हाल को सिलने में भी वक्त तो लगता है l
ढलती उम्र की आखरी सासें कहने लगी मुझसे,
धीरे धीरे मिटने में भी वक्त तो लगता है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
बहुत कुछ बदल गया है
मेरी बढती उम्र के साथ
जुदा हो गई जिंदगी
इस सफर में मुझसे....!
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
दोस्ती की भी अपनी कुछ हदे होती है,
कबतक बिचारी रिश्ते निभाती रहे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कामयाबी की हर दास्तानों में ढुंढ तू,
सुकून की कुर्बानी जरूर मिलेगी तुझे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
गम - ए - हयात को कभी दास्तां होने न दिया l
सोज - ए - उल्फत को कभी दास्तां होने न दिया ll
कैसे करता बया मैं मोहब्बत की मजबुरिया,
राज - ए - उल्फत को कभी दास्तां होने न दिया l
बेजुबा इश्क को मेरी जुबा मिले ना मिले,
एहसास - ए - चाहत को कभी दास्तां होने न दिया l
कितनी शिद्धत से मैं अपनी मंझिले ढुंढता रहा,
सफर - ए - हालात को कभी दास्तां होने न दिया l
वक्त की आंधी में मेरा सबकुछ हुआ तमाम,
किस्सा - ए - फुर्कत को कभी दास्तां होने न दिया l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
बेताब हूं,
बेकल हूं..... और
बेकरार भी हूं मैं
दिन के उजालो में और
रात के अंधेरो में भी......!
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
पंछीयों का अपना कोई घर नही होता,
घोसला चंन्द रोज कि जरुरत है उनकी l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
घबराके खिडकीया दरवाजे बंद कर दिये घर के लोगों ने,
मौत ने बस्ती में मेरे दहशत जो मचा रक्खी है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
वह हौसला-अफजाई थी मेरी,
जिंदगी के हर मुकाम पर l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
छिनकर तुझे मौत इतना दूर ले गयी मुझसे,
तू हमनवा होकर भी मेरी हमसफर न बन सकी l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
सुलझेंगी गुतथिया आज न कल इसी उम्मीद में,
तमाम उम्र मैं गुतथियों में ही उलझता ही रहा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
सरहदो को अपनी अपनी बंदिशे है जरूर,
मगर उन सबसे आझाद है पंछी आसमान के l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मुझको मालूम नही राह -ए -सफर का अंजाम क्या है,
मैं खुद आजतक अपनी मंझिल कि तलाश में हूं l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
उम्र के आखरी पडाव तक कुछ मिले या ना मिले,
कोशिशे करना आखरी सांस तक मगर लाजमी है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
उम्र के आखरी पडाव तक कुछ मिले या ना मिले,
कोशिशे करना आखरी सांस तक मगर लाजमी है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
अस्पतालो में लम्बी कतारे और मरघटो पें लांशो के ढेर,
हरतरफ शहर में ये खौफनाक मंजर है आजकल l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
बस इक तू ही तो थी जिसको मुझसे था गिला,
न तो अब तू ही रही और न शिकायत है कोई l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
इश्क मुकद्धस है उसे हवस का नाम देकर तू ,
अपनी इज्जत को सर -ए -आम बेआबरू ना कर l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मुझमें ही तू थी,
तुझमें ही मैं रहा l
न तो अब तू है,
न मुझमें ही मैं रहा ll
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
अब इसकदर आवारगी बढी,
कि हर रहगुजर परेशान है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ये जालसाजो का शहर है,
जरा संभल के साझा कोश करो l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ये मनचले आशिको का शहर है,
जरा संभल के प्यार करो l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
शहर में अब ये खौफ है आजकल,
कही मौत दस्तक न दे घर पे मेरे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
पास मेरे अब कुछ भी नही,
सिर्फ आँखो में विरानी के सिवा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
छिनकर मुझसे उसे क्या मिला,
ये शिकायत मौत सें करू कैसे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
झुंजते देखा जब मौत सें बिस्तर पे उसे,
बेहिसाब अश्क आँखो में मेरी जब्त थें l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
इतना आंसा नही राह -ए -मंझिल सें गुजरनां,
कई इम्तिहांनो का लंबा सफर है कामयाबी l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मंझिल तलाश की नाकाम कहांनिया,
मकसद सें भटकने का अंजाम ना हो l
चेहरो पें टुटे हुये ख्वाबो के निशां,
कोहराम मचाने का पैगाम ना हो ll
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ऐ जिंदगी बहुत अता की तू ने आसूदगी मुझे मगर,
इतनी रफ्तार सें कभी उसे छिना भी तो नही करते l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
क्यो कांटे हम राते सिर्फ तेरी ही यादो में,
कई रंजो गम है तेरे वफा से पहले!
बहोत उम्मीदसे से पाला है अपनो ने मुझे,
उनके सपने भी तो है तेरे वफा से पहले!!
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
तुझ बिन जिना दुश्वार तो है मगर,
कुछ रिश्ते मुझे मरणे नही देते!
(These two lines I am dedicating to my late wife "VIMAL")
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कुछ तो वक्त अता कर मुझे कहने को,
पलभर का कोई मै अफसाना तो नही l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
रुख को बदलना मेरा शौक रहा अक्सर,
कोशिशोसे से समझोता करना मेरी आदत नही l
सिर्फ लडते रहना मेरा मकसद नही मगर,
हालातो से समझोता करना मेरी आदत नही ll
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
धुल की बवडरो में लापता है मंझिले मेरी,
अपनी सफर का भटका हुआ राही हूं मैं ll
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
पुराने बस्ती में मेरे इतनी तब्दिलिया देखी,
मोहल्ले में घर को ढुंडना मेरे मुश्किल हो गया l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
शहर में मेरे इक तालाब है,
तैरती है वहा लाशे अक्सर l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मिट्टी के कटोरे में डालकर पाणी,
परिन्दो की मस्ती देखता हूं मैं रोज l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
रास्ते जो कभी मंझिलो के निशां थें,
अब मौत वहा मुसाफिरो को ढुंढती है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
शहर में मेरे शिशो की इमारतो ने अब,
पत्थरो से समझोता कर लिया है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
नये दौर के बच्चओ में रफ्तार का जुनून,
रास्तो पें जिंदगी अब महफुझ है कहा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मुझको मालूम है मौत अजियत देती हम सबको मगर,
बहुत टूटा हुआ महसूस करता हूं तेरे गुजर जाने से l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कैसे कहदू आंखो से आंसू न बहा,
जजबात पर मेरे अब इखतियार है कहा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
मनाना तुझे कोई दुश्वार नही मगर,
वो सबब तो बता तेरे रुसवाई का l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
गले ना मिल, हाथ ना मिला और दुरिया रख,
महफुझ है जिंदगी आज इन पाबंदियों में l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
लाल फुलो से लदी शजर की डालिया,
बहार है मेरे घर के आगणं की l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
सियासत की पेच -ओ -खम से आज,
हर शख्स मुल्क का परेशान सा है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
पतझड का मंजर निहारते,
नये मौसम का इंतजार कर l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ढलती उम्र में अपनो को अनदेखा ना करो,
चेहरो की झुरहीयों में तझुर्बा छिपा होता है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
सियासत की लालच में अक्सर,
इमान बेचते है रहनुमा अपने l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ऐ मौत, कुछ तो फासले रख दरमियान जिंदगी के,
कतारे है लाशो की शहर की हर मरघट पे l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कोशिशे जरूर मंझिले तलाश लेती है मगर,
कामयाबी सिर्फ 'जुनून' की ही दस्तक सुनती है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ये हादसो का शहर है,
जरा संभल के चलो l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
जिंदगी तुझे इतना बेबस पहले,
कभी देखा नही मौत के आगे मैनेl
These two lines I am dedicating to my late wife when she was bedridden in the hospital, said "I don't want to die due to CORONA", and we all were helpless.
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
कोई तो ऐसी मजबूरी रही होगी,
बेवजह फासले यू ही नही बढते l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
उसकी कमी सें मुझमे अब,
अकेलापन का एहसास है l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
ये खामोशी मेरी तू मजबूरी न समझ,
खुली जुबां तो ये भी भरम टूट जायेगा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे
बहुत चाहता हूं फासले ना रखू,
बडे लोगों सें दुरिया मिजाज है मेरा l
प्रोफ. हेमंत नागदिवे